तसादुम (दुर्घटना): (शक़ील बदायूंनी)

वो सद-रश्क जन्नत वो गुलज़ार देहली वो देहली जो फ़िरदौसे–हिंदोस्ताँ है वो मजमुआ-ए-हुस्नो अनवार देहली वो देहली के जिसकी ज़मीं आस्माँ है वही जिसने देखे हैं लाखों ज़माने सुने हैं बहुत इन्क़लाबी फ़साने जहाँ दफ़्न हैं सैकड़ों ताज वाले दो–रोज़ा हुकूमत के मैराज़ वाले वहाँ शम्मा जलती है धीमी–सी लौ की जहाँ जल्वारेज़ी है तहजीबे–नौ … Continue reading तसादुम (दुर्घटना): (शक़ील बदायूंनी)